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आँधी / भारत यायावर
Kavita Kosh से
एक पगली हथिनी
दौड़ती है
मौसम की नन्हीं बच्ची को
पैरों कुचलने
बच्ची की मौत पर
आदमी का
पूरा का पूरा बदन
आँसू बहाता है
माँ कहती है
बाहर मत निकलो
बाहर ख़तरा है
ख़तरा अन्दर भी है
पंखा भी
आंधी बहाता है