भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आँसुओं की दास्ताँ लिक्खेगा कौन / रवि ज़िया
Kavita Kosh से
आँसुओं की दास्ताँ लिक्खेगा कौन
मेरी आंखों का बयाँ लिक्खेगा कौन
कर दिया है जब ज़मीं से बर तरफ़
नाम मेरे आसमाँ लिक्खेगा कौन
रफ़्ता-रफ़्ता ले गया आँखों का नूर
कितना ज़ालिम है धुआँ लिक्खेगा कौन
गिर गये जब आँधियों में पेड़ सब
शाख़ पर था आशियाँ लिक्खेगा कौन
सब लिखेंगे रास्ता दुश्वार था
बेख़बर था कारवाँ लिक्खेगा कौन
धूप के लम्बे सफ़र में रेत पर
देखता है सायबाँ लिक्खेगा कौन
कट गई है उम्र ख़ैमों में 'ज़िया'
और ख़ैमों को मकाँ लिक्खेगा कौन