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आँसुओं के कला विज्ञान से / मोनिका कुमार / ज़्बीग्न्येव हेर्बेर्त
Kavita Kosh से
मौजूदा जानकारी के अनुसार केवल झूठे आँसू ही शोध और थोक में उत्पादन करने के लिए उपयुक्त हैं। असली आँसू गर्म होते हैं इसलिए इन्हें चेहरे से छुड़ाना बहुत मुश्किल है। ठोस अवस्था में लाने के बाद इन्होने अपने आप को बेहद नाज़ुक सिद्ध किया। असली आँसुओं का कारोबारी इस्तेमाल तकनीकदानों के लिए सिर दर्द है।
झूठे आँसुओं को फ़ौरन जमाने से पहले आसवन की प्रक्रिया में डाला जाता है, चूँकि ये स्वभाव से अशुद्ध होते हैं तो उन्हें ऐसी अवस्था में ढाल लिया जाता है जहाँ शुद्धता के मामले में ये असली आँसुओं से कमतर नहीं रहते। ये बड़े सख़्त और टिकाऊ होते हैं इसलिए ये केवल सजावट के ही नहीं बल्कि काँच काटने के लिए भी योग्य हैं।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मोनिका कुमार