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आँसू / आशमा कौल
Kavita Kosh से
आँसू दर्द की
मौन भाषा कहते हैं
वे हमेशा गर्व से
पलकों किनारे रहते हैं
क्षणभंगुर-सी अपनी
ज़िंदगी में जाने इतना दर्द
कैसे सहते हैं
आँसू दर्द....
मन के बोझ को
हल्का बनाने की ख़ातिर
पलकों की सेज छोड़
गालों पर आकर बहते हैं
आँसू दर्द....
राजा से रंक तक
न छिपा सके जिसको
शोर के बिना ही
ये दर्दे-दास्तान कहते हैं
आँसू दर्द....