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आँसू / सीमा 'असीम' सक्सेना
Kavita Kosh से
मन में भर आया है
दुःख बिछोह का
आँसू बहते हैं झर झर
मिलन इतना सुखद
विरह इतना दुखद
काश ये मन न होता
तो न होता प्रेम
न मिलन और बिछोह
या फिर मन होता पत्थर का
न बहते ये आँसू!