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आँसू / सुदामा प्रसाद 'प्रेमी'
Kavita Kosh से
आंसू छन ये तर-तर चूणा
क्वी त यूं तैकि उठैल्या
आग बळीं च जैका दि मा
यूं से अपणी आग बुझेल्या।
बणीं भिखारी प्यार मांगे
आग बाळे ऊना मैकु
जेगि नि सैक्यो ल्वाळु अभागी
तिल-मिल कैकि झुरांदो ज्यूकू।
मैं दुःख का स्वासा भनू छऊं
तुम सुख का द्वी गीत लगैल्या।
फूल तोड़ी लोग लिगिने
इख कांडा मैकु बूती गैने
पतझर मैकु रोजहि राया
कथगै रितु ऐकी चलि गैने
कुटगुणि फूल्लु की अळसे गैने
पाणि नि ध्वाळो जब कैना
सौंण की स्वाती बरिखि नि सैकी
बादळ उमड्यां भी चलि गैना।
जेठ की दुफरा रैगेे मैकू
मिन छैल नि पायो गैल्या!