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आंख तो हंजू बै जांदे ने / सिया सचदेव
Kavita Kosh से
आंख तो हंजू बै जांदे ने
हाल दिला दा कह जांदे ने
जो दुनिया नू राह विखान्दे
ओही कल्या रह जांदे ने
इश्क़ कीता सी लोगो जिंना
ज़ुल्म यार दे सह जांदे ने
रात हनेरी दा ए आलम
ख्वाब वी डर के रह जांदे ने
पानगे ओह की खाक़ किनारे
जो पानी विच बह जांदे ने
मोती ओनु ही लभदे ने
जो सागर दी तह जांदे ने
दिल विच अपने बैर न रक्खी
लोग सयाने कह जांदे ने