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आंधी / अमरजीत चंदन
Kavita Kosh से
यह छोकरी आंधी से बहुत डरती है
कहती है : आंधी आएगी
हर तरफ़ गंदगी भर जाएगी
अमलतास के प्यारे-प्यारे फूल झर जाएंगे
पेड़ों से तने टूट जाएंगे, परिन्दे मर जाएंगे
यह छोकरी नहीं जानती
आंधी आएगी
अपने साथ बरखा लाएगी
हर तरफ़ ठंडक भर जाएगी
अमलतास की रगों में हरा ताज़ा लहू दौड़ेगा
अगली रुत में फूल और प्यारे होंगे
और गहरे पीले
यह सब यह छोकरी नहीं जानती
मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद :