भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आइना / मधुप मोहता

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आइना हैं तो आइना रहिये
मेरा लहू है, मत हिना कहिये

आज बेचैन से लगते हैं आप
दिल कहाँ, कब छिना, कहिये

दिल का दुश्मन हमें बताते हैं
दोस्तों में किसे गिना, कहिये

ऐसी बातें, कही नहीं जाती
आज, कुछ भी, कहे बिना कहिये

साँस जब सर्द हो, दर्द हमदर्द बने
जर्द चेहरे को आइना कहिये