आइने पे इताब कौन करे / रवि सिन्हा
आइने पे इताब<ref>ग़ुस्सा (anger)</ref> कौन करे
इस अना<ref>अहं (self)</ref> को शराब कौन करे
कब तग़ाफ़ुल<ref>उपेक्षा (indifference, neglect)</ref> तो कब नवाज़िश<ref>कृपा (kindness)</ref> थी
ज़िन्दगी से हिसाब कौन करे
ख़्वाब तक खींच ला हक़ीक़त को
नींद अपनी ख़राब कौन करे
आइना है तो सच दिखाएगा
उनकी जानिब<ref>तरफ़ (towards)</ref> जनाब कौन करे
ख़्वाहिशे-क़ौसे-क़ुज़ह<ref>इन्द्रधनुष की ख़्वाहिश (desire for rainbow)</ref> सूरज को
ये समन्दर हबाब<ref>बुलबुला (water bubble)</ref> कौन करे
धूल तारों की थी कभी दुनिया
अब यहाँ पा-तुराब<ref>मिट्टी सने पैर (soiled feet)</ref> कौन करे
हाले-दिल क्यूँ बयाँ हो आँखों से
एक आतिश को आब कौन करे
दीदवर<ref>पारखी, देखने वाला (connoisseur, observer)</ref> भी तो एक पैदा हो
ख़ुश्क सहरा<ref>सूखा रेगिस्तान (dry desert)</ref> सराब<ref>मृगमरीचिका (mirage)</ref> कौन करे
सफ़र कट जाए बस जिसे पढ़ते
ख़ुद को ऐसी किताब कौन करे