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आइ छात्रकेँ पड़ल प्रयोजन / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’

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आइ छात्रकेँ पड़ल प्रयोजन

माय बापपर औडर चाही,
स्नो चाही आ पौडर चाही,
क्लीपे लागल ककबा चाही,
चकबी संगहि चकबा चाही।

झाड़ फुनूस वृहत्तर चाही,
रेडीमेडे उत्तर चाही,
गेस-पेपरक मेला चाही,
बुद्धिक ऊपर ठेला चाही।

पढ़ब-लिखवसँ छुट्टी चाही,
माछ-मांस दू बुट्टी चाही,
प्रति प्रश्नक इन्जेक्शन चाही,
कोशिश हेतु कनेक्शन चाही।

किछु विद्रोही झण्डा चाही,
जलखै मुर्गी अण्डा चाही,
सगर नगर हुरदुंग मचाबय-
लय कोनो हथकण्डा चाही।

ड्रेन पाइप ठढ़मुत्ता चाही,
किन्तु न तनमे बुत्ता चाही,
बँसबिट्टीक छुछुन्नरि-मुहसन
नोक बला ओ जुत्ता चही।

आँखिक आन्हर वीक्षक चाही,
परम उदार परीक्षक चाही,
प्रथम-श्रेणी प्राप्त करयलय
तीर्थ-भ्रमण लय हो संयोजन
आइ छात्रकेँ यैह प्रयोजन।

रचना काल 1970 ई.