आई. सी. यू. में पिता : तीन कविताएँ / कुमार मुकुल
1
प्रासंगिक हुए कबीर
आपातकक्ष में लगातार मौतें देख
तुलसीभक्त पिता ने कहा,
कबीर ही सही हैं-- `हंस अकेला जाए´।
तब उन्हें दिया कबीर चौरा का प्रवेशांक
पीठ पर ही छपा था -
``नेमी देखा, धरमी देखा, प्रात करे असनाना
आतम मारि पखानहि, पूजै उनमें कछु नहीं ज्ञाना ´´
नियमित पूजा-पाठ करनेवाले पिता
पढ़ गए पूरी कविता
और बहस नहीं की कोई
उल्टा कहा, खरी बोलते हैं कबीर
`सत्यम अप्रियम्´ भी बोल देते हैं
पूरा पखवारा बिछावन पर रहे पिता
छूटा रहा पूजा-पाठ-स्नान
बिना मुँह धोए खाना तक खाया किया
यह नहीं कि आस्था चूक गई थी उनकी
तुलसी में या कि पूजा में
बस कबीर
प्रासंगिक हो गए थे ज़्यादा।
2
ठंडी पड़ती राख संग
पिता को दवा-दूध दे
आयुर्विज्ञान संस्थान से निकला
तो देखा
कि चांद
पूरा फेंटा खोले हँस रहा है
मैंने पूछा -
कि मुँह तो आपका भी सूख रहा होगा
लीजिए पी लीजिए
थर्मस का बचा बासी पानी
और ढार दिया जल सारा
सड़क के पार-पूरब
उधर चिचिया रही थी टिटहरी
अरी-क्या तुझे भी पेट दर्द है
चल, भरती करा दूँ
फिर तो पीछे
लग गया चांद भी ...
मैंने पूछा - टांग दूँ अपना झोला
तुम्हारे सर पर ...
बस ठीं-ठीं-ठीं
निकम्मा कहीं के
जब देखो - पूरा अवाढ़ खोले
बौराते रहते हो
ठीक है - ठीक है साथ दे रहे हो
वहाँ नर्सें भी साथ दे रही थीं
अपनी सफेद पोशाक में
मरते हुओं के स्वागत में मुस्कराते हुए
अचानक
कितनी सक्रिय हो जातीं थीं वे
भाग-दौड़
मार दवा, सिरींज, अक्सीजन
और अंत में लुढ़क जाना किसी का
फिर सारी सक्रियताओं का सिमट जाना
मुस्कराहटों में -
समझाना -
कि बाहर जाकर रोइए
बाकी भी हार्ट पेशेंट हैं
फिर लाश ढकते हुए
अपनी स्निग्ध मुस्कराहटों में डूबने देना
आपात कक्ष को
जैसे शमशानों में अभी
तुम्हारी चांदनी खेल रही होगी
चिताओं की ठंडी पड़ती राख संग।
3
टिमटिमाते तारों के बीच
नाक-मुँह से जुड़े
चिकित्सकीय सरंजामों को झटक
खुली हवा की
मांग की उसने
आख़िर खोली गई
वातानुकूलित आपात-कक्ष की खिड़की
जिससे
आने लगे मच्छड़
चिंतित हुए पड़ोसी
और चुप रहे
फिर
बिछावन छोड़
ऊपरी मंज़िल के फ़र्श पर
आ बैठा वह
और लगा कुछ टटोलने
जैसे ज़मीन खोज रहा हो
सबको लगा
कि कुछ ठीक हो चुका है वह
नर्सों और परिजनों ने
वापिस उस प्रौढ़ को
ला लिटाया बिस्तर पर
तब जल की मांग की उसने
पर हवा-ज़मीन की तरह
जल से भी
उसके ही हित में
वंचित किया गया उसे
और
एक झटके में
शांत हो गया वह
अब
आग तो
मिल ही जाएगी उसे
शवदाहगृह में
और आकाश में
जगह भी थोड़ी
टिमटिमाते तारों के बीच।