आई री सासड़ सामणिया री तीज / हरियाणवी
आई री सासड़ सामणिया री तीज सीढ़ी घड़ा दै चन्दन रूख की
म्हारे तो बहुअड़ चन्दन ना रूख जाए घड़ाइए अपणै बाप के
अपणी नै दे दी पटड़ी अर झूल म्हारे ते दिया सासड़ पीसणा
फोडूँरी सासड़ चाकी के पाट बगड़ बिखेरू तेरा पीसणा
आया री सासड़ माई जाया बीर मन्नै खंदा दे री मेरे बाप कै
इबकै तो बहुअड़ मौका है नांह कातक पाछे जाइयो अपणे बाप कै
कातक पाछे सासड़ बीरे का ब्याह जबतिक जांगी बैरण दूसरे
सुण सुण रे बेटा बहुअड़ के बोल ओछे घरां की बोले बोलणे
कहो तो मां मेरी देवां हे बिडार कहो तो घालां धण के बाप कै
कहो तो मां मेरी जोगी हो जां कहो तो कालर घालूं झौंपड़ी
क्यां न रे बेटा जोगी हो जाय क्यां न रे घालै कालर झौंपड़ी
क्यां न तो बेटा दे रे बिडार न तो घालै धण के बाप कै
तेरी री दुःख में द्यूँगा बिडार तेरे दुःख में घालूँ धण के बाप कै
या धण जनमेगी पूत बेल बधेगी तेरे बाप की
या धण कुएं पणिहार सोभा लगेगी तेरे बाप की
या धण जनमेगी धीय लाड़ जामई आवै पांहुणे