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आए कुछ अब्र कुछ शराब आए / कांतिमोहन 'सोज़'

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नज़्रे-फ़ैज़

'आए कुछ अब्र कुछ शराब आए
उसके बाद आए जो अज़ाब आए' I

ज़िल्लतो-ख्वारिओ-सियहबख्ती
इश्क़ में हम भी कामयाब आए ।

जाने कब तक मुझे निजात मिले
जाने कब तक तेरा जवाब आए ।

तुझसे मंसूब हो मेरी हस्ती
तू न आए तो तेरा ख़्वाब आए ।

तिश्नगी खो चुकी है बीनाई
अब तो जैसी मिले शराब आए ।

तुझको भूलूं कि तुझको याद करूँ
जब कोई वक़्ते-इंतख़ाब आए ।

याद के क़ाफिले उतरते हैं
जैसे वादी में इनक़लाब आए ।

सोज़ पर सैकड़ों सवाल उठे
वो जो आए तो लाजवाब आए ।।