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आओ, उस टपरे पर / मुकेश जैन

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आओ, उस टपरे पर
एक-एक कप चाय
पी लें
कुछ बातें हो जाएँगी इसी बहानें
गुज़रे दिनों की

पढ़ने के दिन की बातें तो
गुज़री बातें है
उन बातों के बाद की
बातें कर लें

घर के धक्कों की बातें
बेतरतीब बालों, दाढ़ी की बातें
जूतों से हवाई-चप्पल पर आने की बातें,
देखकर ख़ूबसूरत लड़कियों को
चाल धीमी न होने की बातें,
भूल गए आदर्शों की बातें,


बातें
बातें
कहाँ हो पाईं बातें
आया चाय का कप
पतली, बेस्वाद चाय
कह गई
सारी बातें।


रचनाकाल : 08 नवम्बर 1989