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आओ, हम पथ से हट जाएँ / हरिवंशराय बच्चन

आओ, हम पथ से हट जाएँ!

युवती और युवक मदमाते,
उत्‍सव आज मनाने आते,
लिए नयन में स्‍वप्‍न, वचन में हर्ष, हृदय में अभिलाषाएँ!
आओ, हम पथ से हट जाएँ!

इनकी इन मधुमय घडि‍यों में,
हास-लास की फुलझड़ियों में,
हम न अमंगल शब्‍द निकालें, हम न अमंगल अश्रु बहाएँ!
आओ, हम पथ से हट जाएँ!

यदि‍ इनका सुख सपना टूटे,
काल इन्‍हें भी हम-सा लूटे,
धैर्य बंधाएँ इनके उर को हम पथिको की करुण कथाएँ!
आओ, हम पथ से हट जाएँ!