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आओ खेलें होली! / मंजुश्री गुप्ता
Kavita Kosh से
नीली पीली लाल बैंगनी
आसमान में रची रंगोली
रंग बिरंगे फूल खिले हैं
धरती ने मंजूषा खोली
लाल .गुलाबी चेहरे सबके
धूम मचातीं निकली टोली
खाओ चिप्स गुझिया ठंडाई
ना भूलना भंग क़ी गोली
क्या दुश्मन क्या दोस्त हमारे
सब कुछ भूल बने हमजोली
घर घर धूम मची फागुन की
आओ मिल कर खेलें होली