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आओ खेले / श्रीप्रसाद
Kavita Kosh से
आओ, आओ, आओ खेलें
आओ खेलें गुइयाँ
छत पर खूब चाँदनी छाई
जैसे उतरा चंदा
गाना मीठा-सा गायेगी
नन्ही-नन्ही नंदा
सोने के गोटे की साड़ी
पहने आई टुइयाँ
चाईंमाईं चाईंमाईं
घेरा एक बनाओ
खूब ड़ी-सी छत है मिलकर
गोले में सब आओ
देखो, कैसे चुपके-चुपके
चली आ रही चुइयाँ
लो, दादी कुछ लेकर आईं
सबको लाईं टॉफी
दस या बारह नहीं, लिये हैं
वे डिब्बे में काफी
एक-एक कर लें दादी से
दादी बैठी भुइयाँ
कल पिकनिक पर सभी चलेंगे
खूब करेंगे हल्ला
खेलेंगे हम सब मिल करके
ले लेना सब बल्ला
चीजें लाना, मैं लाऊँगी
बड़ी चटपटी घुइयाँ
कल सब बगिया में भी आना
फूली क्यारी-क्यारी
गेंदा और गुलाब खिले हैं
मेरी है फुलवारी
रोज सींचती हूँ मैं बगिया
छोटी-सी कुइयाँ।