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आओ न आओ / ईशान पथिक

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द्वार अपना आज फूलों से सजाए जा रहा हूँ
जिंदगी की इस अकेली रात में आओ न आओ
मैं तुम्हारी याद में कुछ गुनगुनाये जा रहा हूँ
तुम प्रतीक्षा की भरी बरसात में गाओ न गाओ

आज मेरे पास आओ
मुस्कुराओ खिलखिलाओ
हाथ सेे अपने गूँथे जो
हार देहरी पर सजाओ

मैं सुनहरे स्वप्न आँखों मे बसाये जा रहा हूँ
स्वप्न का साकार बन आज तुम आओ न आओ
मैं तुम्हारी याद में कुछ गुनगुनाये जा रहा हूँ
तुम प्रतीक्षा की भरी बरसात में गाओ न गाओ

नीड़ के दो चार तिनके
एक पंछी का बसेरा
एक तिनका तुम बनो
एक प्यार से मैं जोर जाऊँ

आम की एक डाल को मैं देखता ही जा रहा हूँ
तुम चिरइया सी चहकती डार पर आओ न आओ
मैं तुम्हारी याद में कुछ गुनगुनाये जा रहा हूँ
तुम प्रतीक्षा की भरी बरसात में गाओ न गाओ

सांस तपती रेत सी है
आस जलती दुपहरी है
छुप गयी देखो सहमकर
गीत की कोई कड़ी है

भीग उठता मन तुम्हारे नेह का आभास पाकर
तुम घटा घनघोर बन आकाश में छाओ न छाओ
मैं तुम्हारी याद में कुछ गुनगुनाये जा रहा हूँ
तुम प्रतीक्षा की भरी बरसात में गाओ न गाओ