भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आओ भी, चलें / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आओ भी, चलें,

फूल को छोड़ कर

गन्ध के साथ

आग की खोज में

रात को जीत कर जिएँ !


आओ भी, चलें,

शब्द को छोड़ कर

अर्थ के साथ,

मर्म की खोज में

सिन्धु में डूब कर जिएँ !


आओ भी, चलें

वेणु को छोड़ कर

नाद के साथ,

गूँज की खोज में

देश में गूँज कर जिएँ !