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आओ भी, चलें / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
आओ भी, चलें,
फूल को छोड़ कर
गन्ध के साथ
आग की खोज में
रात को जीत कर जिएँ !
आओ भी, चलें,
शब्द को छोड़ कर
अर्थ के साथ,
मर्म की खोज में
सिन्धु में डूब कर जिएँ !
आओ भी, चलें
वेणु को छोड़ कर
नाद के साथ,
गूँज की खोज में
देश में गूँज कर जिएँ !