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आओ मिलकर दीप जलाएँ / बाबा बैद्यनाथ झा
Kavita Kosh से
आपस का सौहार्द बढ़ाएँ
आओ मिलकर दीप जलाएँ
आयी है अनुपम दीवाली
बढ़े विश्व में अब खुशहाली
आएगी जिस दिन सज्जनता
नहीं रहेगी तब निर्धनता
वैर भाव को दूर भगाकर
बिछुड़े को भी गले लगाएँ
आओ मिलकर दीप जलाएँ
जगमग जगमग दीप जलेंगे
आपद क्रमशः स्वतः टलेंगे
तमस कालिमा हट जाएगी
पूर्ण स्वच्छता तब आएगी
मन से सब उत्साहित होकर
उछल कूद आनन्द मनाएँ
आओ मिलकर दीप जलाएँ
सभी देवियाँ घर आएँगी
खुशियाँ ही खुशियाँ छाएँगी
नहीं पटाखे हम सब छोड़ें
कटुता त्याग सभी को जोड़ें
विश्व बंधुता बढ़ती जिससे
ऐसा सबको पाठ पढ़ाएँ
आओ मिलकर दीप जलाएँ