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आओ मोहन पास हमारे ,करो न अब तक़रार / रंजना वर्मा
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आओ मोहन पास हमारे ,करो न अब तक़रार
तुम्हे समर्पित जीवन अपना ,किया तुम्हीं से प्यार
मीरा ललिता राधा ने था , तुम्हे खरीदा मोल
एक झलक पर तेरी हूँ मैं, बिकने को तैयार
सुना रूठना बहुत सुहाता , है तुम को नँदलाल
अगर रूठ जाओगे गिरिधर , कर लूँगी मनुहार
माना कमी नहीं पापों की , दुर्गुण भरे असंख्य
विरद सुना तेरा तब आयी , कर भी ले स्वीकार
दुनियाँ ने कितना भटकाया , घटा न माया मोह
अब तो पड़े पांव में छाले , खोल हृदय के द्वार
जग का बन्धन छोड़ साँवरे , आयी तेरे द्वार
अब तो विदा करा ले मनहर , बैठी कर सिंगार
साज सँभार हो गयी सारी , दिया सभी को नेग
हरे बाँस की सजी पालकी , हैं तैयार कहार