भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आओ राधा नहाण चलां मेरे राम / हरियाणवी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आओ राधा नहाण चलां मेरे राम।
म्हारा तो नहीं ए चलान
दूधां मैं रम रही मेरे राम।
दूधां का कैसा हे गमान,
आवै बिलाई पी जावै हरे राम।