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आओ री राधे बैठो पिलंग पर / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
आओ री राधे बैठो पिलंग पर तुम हमारे मन की भाई हो राम।
हरा हरा गोबर राधे अंगवना लिपाऊं चन्दन चौंक पुराऊं हो राम।
नाई का लड़का री राधे बैगे बुलाऊं नगर बुलावा दुवाऊं हो राम।
आओ री राधे बैठो मंडप में हम थरी गोद पुरावैं हो राम।
आप भी खाओ री राधे सखियां नै खिलाओ घर मत लेकर जाइयो हो राम।
खेल मेल कर राधे घर धाम गई माता ने गोद पुराई हो राम।
कहा ये राधे कहां री गई थी किन्ह थारी गोद पुराई हो राम।
खेलत खेलत माता नन्द घर गई नन्दरानी गोद भराई हो राम।
आप भी खाओ राधे सखियां नै खिलाओ घर मत लेकर जाना हो राम।
अब तो गई थी राधे फिर मत जाना नन्द घर हुई है सगाई हो राम
इस रै ब्रज राधे लोक बुरे हैं ठग ठग करै सगाई हो राम।