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आओ हम सब खेलें खेल / कमलेश द्विवेदी
Kavita Kosh से
आओ हम सब खेलें खेल-आओ हम सब खेलें खेल।
खेल-खेल में मित्र बनें हम और बढ़े आपस का मेल।
तुम सब जन डिब्बे बन जाओ,
मैं बन जाऊँ इंजन।
और पार्क के चारों कोने,
बन जायें स्टेशन।
सीटी देती छुक-छुक करती चले हमारी प्यारी रेल।
आओ हम सब खेलें खेल-आओ हम सब खेलें खेल।
तुम सब लोग छात्र बन जाओ,
मैं बन जाऊँ टीचर।
जो भी पूछूँ सही बताओ,
दूँगा अच्छे नंबर।
मेरी कक्षा में सब अव्वल कभी न कोई होता फेल।
आओ हम सब खेलें खेल-आओ हम सब खेलें खेल।
खेलें खो-खो और कबड्डी,
खेलें लूडो-कैरम।
खेल-कूद से ही रहता है,
स्वास्थ्य हमेशा उत्तम।
किन्तु कभी मत खेलें कंचे-गुल्ली-डंडा और गुलेल।
आओ हम सब खेलें खेल-आओ हम सब खेलें खेल।