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आकांक्षा / सुधीर सक्सेना

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हम देखें वह दृश्य,
जो हमारे देखे तमाम दृश्यों से अधिक
ख़ूबसूरत और मनहर है,
बोलें हम बोल
जो मीठे हैं हमारे बोले गए
तमाम बोलों से,
मुस्कुराएँ हम
तो हमारी मुस्कान में सम्मिलित हों
किसी और के होंठ
हम उस धड़कन को जिएँ
जिसमें गुँथी होती है
किसी और की धड़कन