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आकाश ही आकाश / मौरीस कैरेम / अनिल जनविजय
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मेरे चारों तरफ़ आकाश है
ऊपर भी आकाश है
आगे-पीछे आकाश
दाएँ-बाएँ आकाश है
चारों तरफ़ आकाश
मैं हूँ कहाँ ?
चारों ओर चक्कर काट रही है मान्या !
धूप भरा दिन है सुनहरा
बावला है दिन यह रुपहला
झूल रहा चारों ओर आकाश
मन में मेरे झूम रहा आकाश !
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय