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आकासे अछि फाटल साटल ने जा सकैए / बाबा बैद्यनाथ झा
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आकासे अछि फाटल साटल ने जा सकैए
जे भाग्यमे लिखल छै बाँटल ने जा सकैए
ग्रह-पिंडसन घेरायल हम छी असंख्य जनसँ
के चोर आ के साधू छाँटल ने जा सकैए
संबंध महज स्वार्थक सन्तान होअए कि पत्नी
गलती कोनो करय ओ डाँटल ने जा सकैए
देहक ने मोह हमरा काटब अहाँ तँ काटू
विश्वास मुदा मनकेर काटल ने जा सकैए
परित्याग कऽ देने छी संसर्ग ओ बेबस भऽ
जे थूक फेकि देलियै चाटल ने जा सकैए