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आके जहिया से गेल / हम्मर लेहू तोहर देह / भावना

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आके जहिया से गेल हए मौसम चुनाव के।
कोई बन गेल गरीब कोनो राजा जबार के॥

कोई न सुन रहल हए ऊ मुसमात के पुकार।
जेक्कर मरद हए चढ़ल सूली पर चुनाव के॥

अब न आएत ऊ देखे पलट क हमरा सब के।
जबतक न लगिचाएत फेनू मौसम चुनाव के॥

लूट-पाट क के पी क हम्मर सब के खून।
खूब पइसा ऊ जमा करत अगला, चुनाव के॥