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आखरी पड़ाव / अंशु हर्ष
Kavita Kosh से
कितनी शिद्धत से
हर जीवन में
एक घरौंदा
बनाते है हम
तिनका तिनका चुन
एक एक दीवार
सजाते है हम
क्यों चलता रहता है
ये सिलसिला
हर जीवन में
क्यों रूह का सफ़र
पार कर जाते है हम
इस बार पता नहीं मुझे
लेकिन ये अहसास है
अब मेरी रूह बूढ़ी है
और अब उसके जीवन के सफ़र का
आखरी पड़ाव है।