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आखर अखत : आखर पुसब / सांवर दइया
Kavita Kosh से
हां s s
म्हैं इण जोगो कोनी
थांनै तिरपत करण खातर
चढ़ाय सकूं छप्पन भोग
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म्हैं इण जोगो कोनी
थांरै सिणगार सारू
भेळा कर सकूं माणक-मोती
हां s s
म्हैं इण जोगो कोनी
थांरी पूजा वास्तै
थरप सकूं कोई मिंदर
पण
म्हारै मन रा मालक
सांस-सांस म्हारी
थांरै नांव
थांरै ई खातर
म्हारा आखर अखत
म्हारा आखर पुसब
होश संभाळयां पछै
जोड़ियो औ ई धन
थांरै ई चरणां अर्पित
कबूल करो-
ए आखर अखत
ए आखर पुसब