भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आखर री आंख सूं / सांवर दइया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्रीत
ओलै-छानै पळी
परखी म्हैं
      आखर री आंख सूं

हूक
होळै-सी क उठी
सुणी म्हैं
     आखर री आंख सूं

गांठ
मनां मांय पड़ी
देखी म्हैं
     आखर री आंख सूं