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आखर री औकात, पृष्ठ- 12 / सांवर दइया

सांस बीनणी
उमर धींसणो है
दुख दायजो
०००

तपता धोरा
अन्त बिहूणी जात्रा
बो दीखै पाणी
०००

माटी रळां म्हे
आभै पांगरो आप
खाद हां म्हे तो
०००

दारू, लुगाई-
थांरी दुनिया, म्हांरी-
आंसू’र धूंवो
०००

चढै तावड़ो
छत्तै सूं लेवां रोक
दिन-निरोध
०००