भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आखर री औकात, पृष्ठ- 13 / सांवर दइया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आ दौड़ आंधी
अठै नूंवा नकोर
बठै जा बासी
०००

आपणी भासा
अरे सावळ चींत
पुळ का भींत ?
०००

मांय अकूड़ी
जे सावळ सोधा तो
मोती ई लाधै
०००

ऐ बीज, पाणी
हरियाळी व्है खेत
नहीं तो रेत
०००

दिनूगै दृढ
पिघळै मोम दांईं
रात पड़तां
०००