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आखर री औकात, पृष्ठ- 17 / सांवर दइया
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गळी अजाणी
दुनिया री विगतां
आकाशवाणी
०००
भूलां ऐब म्हे
पण आ तो बताओ-
कीं है जेब में ?
०००
घरू रोवणा
काळै कोट री जेबां
घर रो धन
०००
घर-दफ्तर
पछै कीं दूजा काम
दिनूगै सिंझ्या
०००
घड़ीक साफ
आभो आंगणो दीखै
घड़ीक मैलो
०००