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आखर री औकात, पृष्ठ- 26 / सांवर दइया
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निरांतै पोढ्या
हींगळू ढोलियां बै
बळती भूल
०००
ओ म्हारा मन
तूं चाल परबारो
कुण है थारो
०००
-बांग नीं देवूं
वाद-चढ्यो कूकड़ो
सूरज ऊग्यौ
०००
गीर बो कहां
चांद पूग्यो मिनख
अठै कळह
०००
मजै री बात
आम खातर झुरै
आम आदमी
०००