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आखर री औकात, पृष्ठ- 42 / सांवर दइया
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उजास गमै
काळै रस्तै ले जावै
ऐ पगोथिया
०००
ठण्डो थूक्यो साS !
तातो थूकै बठै जा
मादर...... ?
०००
घरां में लोग
सांस रोक’र सुणै
बाजता बूंट
०००
दीवो खुद ई
उजास गिटै अठै
गुजारो कठै
०००
एक मरद
दिल्ली सूं गळी तांईं
बाकी नाजर
०००