रुखाळी नांवै
उजास री आड़ थे
करो अंधारा
०००
म्है’र रै नांव
सरै आम करो थे
जी रा जेवड़ा
०००
हरखै जग
काळै जाळां नै काट
ऊग्यो सूरज
०००
आभो र हवा
कैद कर बै पूछै-
उड़ो क्यूं कोनी ?
०००
राज री रीत
मुळकण रो कैवै
मुक्का मार’र
०००
रुखाळी नांवै
उजास री आड़ थे
करो अंधारा
०००
म्है’र रै नांव
सरै आम करो थे
जी रा जेवड़ा
०००
हरखै जग
काळै जाळां नै काट
ऊग्यो सूरज
०००
आभो र हवा
कैद कर बै पूछै-
उड़ो क्यूं कोनी ?
०००
राज री रीत
मुळकण रो कैवै
मुक्का मार’र
०००