दिहाड़ी खटती माँ, को
भूख भी अधिक लगती...
तब, भी, अपने खाने से
माँ , हमेशा बचाकर रखती कुछ
कौर, मेरे लिए...
जबतक मैं ये ना कहता
कि अब, बस पेट भर गया
तब तक अपने हिस्से का
आखिरी कौर भी मुझे खिलाती
जाती थी माँ...!
दिहाड़ी खटती माँ, को
भूख भी अधिक लगती...
तब, भी, अपने खाने से
माँ , हमेशा बचाकर रखती कुछ
कौर, मेरे लिए...
जबतक मैं ये ना कहता
कि अब, बस पेट भर गया
तब तक अपने हिस्से का
आखिरी कौर भी मुझे खिलाती
जाती थी माँ...!