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आखिरी बार / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग

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सत्य के खौलते समंदर में सारे सपने डुबो चुका हूँ मैं, दिल में फिर दर्द क्यांे है पहले-सा आख़िरी बार रो चुका हूँ मैं। </poem>