इक मुसाफ़िर हूँ
बड़ी दूर से चलता हुआ आया हूँ यहाँ
राह में मझसे जुदा हो गई सूरत मेरी
अपने चेहरे का बस इक धुँधला तसव्वुर है मेरी आँखों में
रास्ते में मेरे कदमों के निशाँ भी होंगे
हो जो मुमकिन तो उन्हीं से
मेरे आगाज़ की तारीख़ सुनो.
इक मुसाफ़िर हूँ
बड़ी दूर से चलता हुआ आया हूँ यहाँ
राह में मझसे जुदा हो गई सूरत मेरी
अपने चेहरे का बस इक धुँधला तसव्वुर है मेरी आँखों में
रास्ते में मेरे कदमों के निशाँ भी होंगे
हो जो मुमकिन तो उन्हीं से
मेरे आगाज़ की तारीख़ सुनो.