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आगे हिम्मत करके आओ / हरिवंशराय बच्चन
Kavita Kosh से
आगे हिम्मत करके आओ!
मधुबाला का राग नहीं अब,
अंगूरों का बाग नहीं अब,
अब लोहे के चने मिलेंगे दाँतों को अजमाओ!
आगे हिम्मत करके आओ!
दीपक हैं नभ के अंगारे,
चलो इन्हीं के साथ सहारे,
राह? नहीं है राह यहाँ पर, अपनी राह बनाओ!
आगे हिम्मत करके आओ!
लपट लिपटने को आती है,
निर्भय अग्नि गान गाती है,
आलिंगन के भूखे प्राणी, अपने भुज फैलाओ!
आगे हिम्मत करके आओ!