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आग्रह / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
आदमी को
मत करो मजबूर !
इतना कि
बेइंसाफ़ियों को झेलते
- वह जानवर बन जाय !
- वह जानवर बन जाय !
या
बेइंतिहा
दर्द की अनुभूतियों को भोगते
- वह खण्डहर बन जाय !
- वह खण्डहर बन जाय !
आदमी को
मत करो मज़बूर
इतना कि उसको
ज़िन्दगी
लगने लगे
- चुभता हुआ
- रिसता हुआ
- नासूर !
- चुभता हुआ
आदमी को
मत करो
यों
इस क़दर मजबूर !