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आग केॅ हवाला होय केॅ बचनाय मुश्किल छै / कस्तूरी झा ‘कोकिल’

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आग केॅ हवाला होय केॅ बचनाय मुश्किल छै।
शीशा घोॅर कतना सुरक्षित कहनाय मुश्किल छै।

बुढ़ापा वरदान, छीकै, अभिशाप कखनूँ नैं।
नयका पीढ़ी केॅ साथ-साथ चलानाय मुश्किल छै।

बहुरिया फास्ट फुड केॅ दीवानी निकलैय।
दोनों साँझचुलहा जलानाय मुश्किल छै।

खास परिवार पश्चिम केॅ पहचान छीकै।
भारत में सिक्का जमानाय मुश्किल छै।

पछियारी-रंग में जे रंगले भैया।
ओकरा दिल-दिमाग में बसानाय मुश्किल छै।

भारत असकल्ले इतिहास लिखनें अयलै।
जब ताँय साँस चलतै, ओकरा घटानाय मुश्किल छै।

-13.10.2010