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आग नहीं कुछ पानी भी दो / अभिनव अरुण
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आग नहीं कुछ पानी भी दो
परियों की कहानी भी दो।
छोटे होते रिश्ते नाते
मुझको आजी नानी भी दो।
दूह रहे हो सांझ-सवेरे
गाय को भूसा सानी भी दो।
कंकड पत्थर से जलती है
धरा को चूनर धानी भी दो।
रोजी रोटी की दो शिक्षा
पर कबिरा की बानी भी दो।
हाट में बिकता प्रेम दिया है
एक मीरा दीवानी भी दो।
जाति धर्म का बंधन छोडो
कुछ रिश्ते इंसानी भी दो।
बहुत हो गए लीडर अफसर
ग़ालिब मोमिन फानी भी दो।