भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आग पानी हुई, हुई, न हुई / बलबीर सिंह 'रंग'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आग पानी हुई, हुई, न हुई,
मेहरबानी हुई, हुई, न हुई।

कौन जाने फिज़ाये ज़न्नत में,
ज़िन्दगानी हुई, हुई, न हुई।

आप हों, हम हों, सारा आलम हो,
ऋतु सुहानी हुई, हुई, न हुई।

सरफिरे दिल के बादशाहों की,
राजधानी हुई, हुई, न हुई।

‘रंग’ हाजिर है बज़्मे याराँ में,
कद्रदानी हुई, हुई, न हुई।