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आग लगाने वाले भी कम नहीं यहाँ / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
आग लगाने वाले भी कम नहीं यहाँ
शोर मचाने वाले भी कम नहीं यहाँ
दरिया में उतरे हो तैर नहीं सकते
नाव डुबाने वाले भी कम नहीं यहाँ
रिश्तों को तोड़ने में मत विश्वास करो
बैर बढ़ाने वाले भी कम नहीं यहाँ
किसके कहने पर तुमने घर छोड़ दिया
पथ भटकाने वाले भी कम नहीं यहाँ
इतने सरल नहीं हैं जीवन के रस्ते
डाह दिखाने वाले भी कम नहीं यहाँ
उस भोले पंछी को जाकर समझा दो
जाल बिछाने वाले भी कम नहीं यहाँ