आच्छी कोन्या लागी अंजना पवन भूप के जोड़े मैं / मेहर सिंह
वार्ता- सज्जनों अंजना की सहेलियां अंजना से चुहल बाजियां करती हैं। अंजना की शादी निश्चित हो गई इससे वे प्रसन्न हैं किन्तु पवन का सांवला रंग उन्हें खटकता है और वे अपने उदगारों को अंजना के सम्मुख इस प्रकार प्रकट करती हैं-
इसतै सुथरे और भतेरे तूं कित छोरयां के तोड़े मैं।
आच्छी कोन्या लागी अंजना पवन भूप के जोड़े मैं।टेक
अपणें हाथां आप करै सै अंजना मतकर चाला हे
पवन भूप मैं साठ कमी सैं करदे ब्याह का टाला हे
वो रात अंधेरी कैसा सै तूं ले रही चांद उजाला हे
तूं तो कती सफेद हंसणी वो बिल्कुल कागा काला हे
तूं संगमरमर की दुकड़ी सै वो पासंग फूटे रोड़े मैं।
न्यू सोचूं थी स्याणी सै पर तूं दाहुंएं हद करगी हे
कितना भूंडा तनै छांट्या सै अंजना तूं निस्तरगी हे
दुःख मैं साझा करण लागरी या म्हारै भी जंचगी हे
न्यूं बूझूं सूं तूं साफ बता क्यां कै उपर मरगी हे
माखी भिणकैं कोढ़ी दुखिया दाद खाज और फोड़े मैं।
तूं पढ़ी लिखी सै राजकुवर तनै मिल ज्यागा छैल इसा
सारी दुनियां दिखादे ले ज्यागा तनै गैल इसा
सब क्यांहे की मौज रहै राजा का मिलै महल इसा
दासी बांदी टहल करैंगी बेशक करिए फैल इसा
जितना चाहवै माल बरतियें के सै हाथ सिकोड़े मैं।
मेहर सिंह गैल्यां जाकै बिचल ज्यागी जाटां मैं
सिर पै भरोटा गोडे टूटज्यां दो दो कोस की बांटां मैं
करै लामणी फांस चालज्यां हाथ फूटज्या टाटां मैं
होज्या वार ज्वारे नै तेरी खाल उतरज्या साट्यां मैं
तूं पढ़ी लिखी छीटम छींट रहै गोबर माट्टी चोड़े मैं।