आजकल के हैं कैसे चलन देखिए / महावीर प्रसाद ‘मधुप’
आजकल के हैं कैसे चलन देखिए
लुट रहे बेशक़ीमत रतन देखिए
ख़ार ही ख़ार नफ़रत के आते नज़र
सूखते प्यार के हैं सुमन देखिए
फैलती जा रही आग चारों तरफ़
उठ गया है धरा से अमन देखिए
क़द्र इल्मो-अदब की बढ़ी इस क़दर
लाश फ़नकार की बेक़फ़न देखिए
साथ प्रीतम के डोली में चढ़ती हुई
काँपती इक नवेली दुल्हन देखिए
भेड़िया बन गया आज का आदमी
कर रहा ख़ून का आचमन देखिए
कुछ न पहचान अच्छे-बुरे की रही
राहबर ख़ुद हुआ राहज़न देखिए
घुल गया विष बसन्ती हवाओं में है
आज मैली है गंगो-जमन देखिए
भेंट तन्दूर की एक अबला चढ़ी
जल रही किस तरह गुलबदन देखिए
दख़्ल इन्साफ़ का है न मुमक़िन यहाँ
ये सियासत की है अंजुमन देखिए
हमको ख़ुशियों के बदले में आँसू मिले
हाथ जलते हैं करते हवन देखिए
रोज पशुता के द्वारा किया जा रहा
पूत प्रतिभा का है दुर्दमन देखिए
आँधियों से अकेला लड़ा रात भर
एक दीपक के दिल की लगन देखिए
गा रहे गीत दरबारियों के ‘मधुप’
बिक चुके हैं ये शेरो-सुख़न देखिए