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आजमाने का हुनर / विजय वाते
Kavita Kosh से
जिनको आता है गजल के गुनगुनाने का हुनर
उनसे जा के सीखिए रातें जगाने का हुनर
जिंदगी की जंग को जो जीतना है चाहता
है जरूरी सीख ले वो हार जाने का हुनर
आप आए मुस्कुराए और बस फिर छा गये
आपने सीखा कहाँ ये गुल खिलाने का हुनर
आयेंगे आ जायेंगे वो बस अभी आ जायेंगे
ये तसल्ली है कोई या दिल जलाने का हुनर
यह खुला एलान हैं हम, हो गये हैं आपके
आजमा लें आप अपना, आजमाने का हुनर